आप सबने पिछले कुछ समय में अपने आसपास हार्ट अटैक या दिल के दौरे की खबरें पहले से ज़्यादा सुनी होंगी। सबसे डराने वाली बात यह है कि इसमें कई जवान लोग, जो दिखने में फिट लगते थे, वे भी शामिल हैं। यह देखकर मन में एक सवाल ज़रूर आता है कि “कोविड के बाद ऐसा क्या हुआ कि हार्ट अटैक के मामले इतने बढ़ गए हैं?”
By डॉ. अजय मेहता, MD Cardiology (AIIMS Delhi) | 15+ साल | 12K+ मरीज़ | ICMR पैनल मेंबर
यह सवाल आपके मन में भी होगा। आज हम इसी गुत्थी को सुलझाने की कोशिश करेंगे। हम बिल्कुल आसान तरीके से समझेंगे कि डॉक्टर और मेडिकल साइंस इस बारे में क्या कहते हैं।

यह एक लंबा, गहराई से लिखा गया लेख है, इसलिए इसे आराम से पढ़ें। हमारा मकसद आपको डराना नहीं, बल्कि जागरूक करना है। क्योंकि जानकारी ही सबसे बड़ा बचाव है।
कोविड के बाद अब ‘हार्ट अटैक’ के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? डॉक्टर का जवाब।
सच तो यह है कि यह किसी एक वजह से नहीं हो रहा है। यह एक “परफेक्ट स्टॉर्म” (Perfect Storm) जैसा है, यानी कई खतरनाक चीज़ें एक ही समय पर इकठ्ठा हो गई हैं।
इस ‘स्टॉर्म’ के तीन मुख्य हिस्से हैं:
- पहला विलेन: खुद कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) और दिल पर उसका सीधा असर।
- दूसरा विलेन: महामारी के दौरान बदली हमारी लाइफस्टाइल और बढ़ा हुआ स्ट्रेस।
- तीसरा विलेन: बाकी बीमारियों को नज़रअंदाज़ करना और गलत जानकारी।
आइए, इन तीनों को एक-एक करके, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं।
भाग 1: पहला विलेन – वायरस का दिल पर ‘डायरेक्ट अटैक’
हम सबने कोविड को फेफड़ों (Lungs) की बीमारी समझा, लेकिन यह वायरस सिर्फ फेफड़ों तक ही नहीं रुका। यह एक ‘सिस्टमिक’ बीमारी है, यानी यह पूरे शरीर के सिस्टम पर हमला करता है, खासकर हमारे दिल और खून की नसों पर।
कोविड ने हमारे दिल को 4 तरीकों से नुकसान पहुँचाया:

1. शरीर में ‘आग’ लगा दी (Inflammation – सूजन)
सोचिए, आपके शरीर में वायरस रूपी दुश्मन घुसता है, तो आपकी ‘इम्यूनिटी’ (रोगों से लड़ने की ताकत) एक फौज की तरह उस पर हमला करती है। इसे ‘इन्फ्लेमेशन’ या ‘सूजन’ कहते हैं। यह अच्छी चीज़ है।
लेकिन कोविड के मामले में, खासकर गंभीर इन्फेक्शन में, यह फौज पागल हो गई। उसने “साइटोकाइन स्टॉर्म” (Cytokine Storm) नाम का एक बवंडर खड़ा कर दिया। यह फौज दुश्मन (वायरस) को मारने के साथ-साथ आपके अपने शरीर के अच्छे हिस्सों को भी नुकसान पहुँचाने लगी।
- दिल पर असर: इस ‘आग’ या सूजन ने हमारी खून की नसों (Arteries) की अंदरूनी परत को झुलसा दिया। यह परत, जिसे ‘एंडोथीलियम’ (Endothelium) कहते हैं, बहुत नाज़ुक होती है। जब यह जलती है, तो खुरदरी (rough) हो जाती है।
(ICMR स्टडी 2024, Lancet 2023)
2. खून को ‘गाढ़ा’ कर दिया (Blood Clots – खून के थक्के)
यह सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक असर है। कोविड वायरस हमारे खून को ‘चिपचिपा’ या ‘गाढ़ा’ बना देता है।
- कैसे? जब वो ऊपर बताई गई ‘एंडोथीलियम’ परत खुरदरी हो जाती है, तो हमारे खून के प्लेटलेट्स (जो खून का थक्का जमाने का काम करते हैं) को लगता है कि ‘यहाँ चोट लगी है, चलो इसे भरें’।
- नतीजा? खून की नसों के अंदर छोटे-छोटे (और कभी-कभी बड़े) ‘थक्के’ यानी क्लॉट्स (Clots) बनने लगते हैं।
- यही है असली किलर: सोचिए, आपके दिल को खून पहुँचाने वाली नस (Coronary Artery) एक पतली पाइप है। अगर उसमें यह ‘क्लॉट’ जाकर फँस जाए, तो क्या होगा? दिल की मांसपेशी को खून और ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाएगा।
- इसी को ‘हार्ट अटैक’ (Heart Attack) कहते हैं।
- अगर यही क्लॉट दिमाग की नस में फँस जाए, तो उसे ‘ब्रेन स्ट्रोक’ (Brain Stroke) कहते हैं।
डॉक्टरों ने पाया कि कोविड के बाद लोगों में D-Dimer (खून में थक्के का मार्कर) लेवल महीनों तक बढ़ा हुआ रहा। इसका मतलब है कि बीमारी ठीक होने के बाद भी थक्के बनने का खतरा बना रहा।
3. दिल की मांसपेशी को ही ‘कमजोर’ कर दिया (Myocarditis)
कुछ मामलों में, वायरस ने सीधे दिल की मांसपेशी (Heart Muscle) पर हमला कर दिया और उसे सूजा (inflame) दिया। इस स्थिति को ‘मायोकार्डिटिस‘ (Myocarditis) या ‘पेरिकार्डिटिस’ (Pericarditis) कहते हैं।

- इसका मतलब: दिल का जो ‘पंप’ है, वही कमजोर हो गया। उसकी खून फेंकने की ताकत (Pumping Power) कम हो गई। इससे धड़कन अनियमित (Arrhythmia) हो सकती है, या दिल फेल (Heart Failure) भी हो सकता है। यह उन लोगों में भी देखा गया जिन्हें कोविड बहुत हल्का हुआ था।
4. ‘लॉन्ग कोविड’ का लंबा साया
कई लोग जो कोविड से ठीक हो गए, वे ‘लॉन्ग कोविड’ (Long COVID) से जूझ रहे हैं। इसमें उन्हें महीनों तक थकान, सांस फूलना, और ‘धड़कन तेज’ (Palpitations) होने की शिकायत रहती है। यह दिखाता है कि शरीर का सिस्टम, खासकर दिल और नर्वस सिस्टम, पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है और अभी भी ‘स्ट्रेस’ में है।
डॉक्टर का नोट: तो, पहला कारण साफ है। कोविड इन्फेक्शन ने हमारे दिल और खून की नसों को अंदर से कमजोर और ‘घायल’ कर दिया है। यह एक टाइम बम की तरह है।
भाग 2: दूसरा विलेन – हमारी बदली हुई ‘लाइफस्टाइल
अब सिर्फ वायरस को दोष देना ठीक नहीं है। महामारी के दौरान, हमने खुद भी अपने शरीर के साथ कुछ ऐसा किया, जिसने आग में घी डालने का काम किया।
जरा याद कीजिए लॉकडाउन के वो दिन:
1. ‘कुर्सी से दोस्ती, दिल से दुश्मनी’ (Sedentary Lifestyle)
‘वर्क फ्रॉम होम’ (Work From Home) का मतलब हो गया ‘बेड से काम’ या ‘सोफे से काम’। हम सब की फिजिकल एक्टिविटी (चलना-फिरना) लगभग ठप्प हो गई।
- ऑफिस जाना, सीढ़ियाँ चढ़ना, ट्रेन पकड़ना… यह सब बंद हो गया।
- बैठे रहने से खून का दौरा धीमा पड़ता है, वजन बढ़ता है, और क्लॉट बनने का खतरा भी बढ़ता है। हमारा दिल ‘आलसी’ हो गया।
2. तनाव का ‘वायरस’ (Chronic Stress)
कोविड का डर, नौकरी जाने का डर, अकेलापन, भविष्य की चिंता… हम सब एक ‘क्रॉनिक स्ट्रेस’ यानी ‘लंबे समय तक चलने वाले तनाव’ से गुज़रे हैं।
- जब हम स्ट्रेस में होते हैं, तो शरीर ‘कोर्टिसोल‘ (Cortisol) नाम का स्ट्रेस हॉर्मोन छोड़ता है।
- यह हॉर्मोन हमारी धड़कन को तेज करता है, ब्लड प्रेशर (BP) बढ़ाता है, और खून में शुगर छोड़ता है।
- थोड़े समय के लिए यह ठीक है, लेकिन जब यह स्ट्रेस 2 साल तक चले, तो आपका दिल और BP लगातार ‘हाई गियर’ में रहता है। यह दिल को थका देता है और अटैक का खतरा पैदा करता है।
3. खान-पान का ‘कबाड़ा’ (Poor Diet)
लॉकडाउन में हम सबने ‘कम्फर्ट फूड’ (Comfort Food) का सहारा लिया। बाहर से ऑर्डर करना, बेकिंग करना, और प्रोसेस्ड (डब्बाबंद) चीजें खाना बढ़ गया।

- नतीजा? ज़्यादा नमक, ज़्यादा चीनी, और ज़्यादा खराब फैट।
- इसने हमारा वज़न बढ़ाया, कोलेस्ट्रॉल बिगाड़ा, और डायबिटीज का खतरा पैदा किया। यह तीनों चीज़ें हार्ट अटैक की ‘बेस्ट फ्रेंड’ हैं।
4. ‘साइलेंट किलर्स’ को नज़रअंदाज़ करना
महामारी के डर से, लोगों ने अपनी रूटीन जाँचें टाल दीं।
- लोग BP की दवा लेना भूल गए या डॉक्टर को दिखाने नहीं गए।
- डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल की जाँच ही नहीं हुई।
- ये ‘साइलेंट किलर्स’ (Silent Killers) अंदर ही अंदर शरीर को खोखला करते रहे। जब कोविड का हमला हुआ, तो शरीर पहले से ही कमजोर था।
डॉक्टर का नोट: तो, दूसरा कारण है – हमने एक कमजोर और थके हुए दिल (जो कोविड से घायल था) पर खराब लाइफस्टाइल, स्ट्रेस और मोटापे का ‘बोझ’ डाल दिया।
भाग 3: जवान लोगों को अटैक क्यों? (The Young Adult Problem)
यह सबसे चिंताजनक बात है। 30-40 साल के फिट दिखने वाले लोग जिम में, डांस करते हुए… क्यों?
इसके पीछे ऊपर दिए गए दोनों कारण (वायरस + लाइफस्टाइल) तो हैं ही, साथ में दो खास वजहें भी हैं:
- अचानक ‘सुपर-हीरो’ बनने की कोशिश: कई युवाओं ने कोविड और लॉकडाउन में सुस्त रहने के बाद, एकदम से ‘फिट’ होने का फैसला किया। वे जिम गए और पहले ही दिन भारी वज़न उठाना या बहुत तेज ट्रेडमिल पर दौड़ना शुरू कर दिया।
- खतरा: उनका दिल कोविड के बाद अभी भी ‘सूजा’ (Inflamed) हुआ था। जब उन्होंने उस कमजोर दिल पर अचानक इतना ज़ोर डाला, तो वह दबाव झेल नहीं पाया। यह एक ‘शॉर्ट सर्किट’ जैसा था, जिससे ‘सडन कार्डियक अरेस्ट’ (Sudden Cardiac Arrest) हो गया।
- सलाह: कोविड से उबरने के बाद, “Start Low, Go Slow” (धीमी शुरुआत करें, धीरे-धीरे बढ़ाएं) का नियम अपनाना चाहिए था।
- ‘मुझे कुछ नहीं हो सकता’ वाला ऐटिट्यूड: कई युवाओं को पता ही नहीं था कि उन्हें हाई BP या हाई कोलेस्ट्रॉल की दिक्कत है। उन्होंने कभी जाँच ही नहीं कराई। ऊपर से स्मोकिंग (Smoking) और एनर्जी ड्रिंक्स का चलन… यह सब मिलकर एक घातक कॉकटेल बन गया।
सबसे बड़ा सवाल – क्या इसका ‘वैक्सीन’ से कोई लेना-देना है?
यह सवाल बहुत ज़रूरी है और इसे लेकर बहुत भ्रम (Misinformation) फैलाया गया है। चलिए, आज विज्ञान क्या कहता है, वो समझते हैं।
- क्या वैक्सीन से मायोकार्डिटिस (दिल की सूजन) होता है? हाँ, कुछ mRNA वैक्सीन (जैसे फाइज़र, मॉडर्ना) से ‘मायोकार्डिटिस’ के कुछ मामले देखे गए। लेकिन…
- यह बेहद दुर्लभ (Extremely Rare) था (लाखों में किसी एक को)।
- जब हुआ भी, तो यह बहुत हल्का (Mild) था और मरीज़ कुछ ही दिनों में ठीक हो गए।
- तो फिर हार्ट अटैक क्यों? दुनिया भर के बड़े-बड़े रिसर्च और खुद भारत सरकार की ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की स्टडी ने यह साफ कर दिया है:
“भारत में हो रही हार्ट अटैक से मौतों का वैक्सीन से कोई सीधा संबंध नहीं मिला है।”
- असली खतरा क्या है? रिसर्च यह दिखाती है कि वैक्सीन की तुलना में, ‘कोविड इन्फेक्शन’ से हार्ट अटैक या मायोकार्डिटिस होने का खतरा कई-कई गुना (लगभग 15 से 20 गुना) ज़्यादा है।
- आसान भाषा में: वैक्सीन ने आपकी जान बचाई है। हार्ट अटैक का असली कारण ‘वैक्सीन’ नहीं, बल्कि ‘कोविड इन्फेक्शन’ (भले ही वो हल्का हुआ हो) और उसके बाद पैदा हुई शरीर की सूजन, क्लॉटिंग और हमारी खराब लाइफस्टाइल है। जो लोग पहले से बीमार थे, उन्हें कोविड होने पर ज़्यादा खतरा था।
डॉक्टर का जवाब – अब हमें क्या करना चाहिए? (The Action Plan)
ठीक है, हमने समझ लिया कि समस्या गंभीर है। पर अब इसका हल क्या है? घबराना नहीं है। बस जागरूक और जिम्मेदार बनना है।
यहाँ एक 7-सूत्रीय प्लान है जो आपको अपने दिल को बचाने में मदद करेगा:
1. अपने शरीर की ‘सुनो’ (Don’t Ignore Symptoms)
अगर आपको नीचे दिए गए लक्षण महसूस हों, तो इन्हें ‘गैस’ या ‘थकान’ समझकर टाले नहीं। तुरंत डॉक्टर से मिलें:
- सीने में बेचैनी: दबाव, भारीपन, जकड़न या दर्द।
- सांस फूलना: जो काम आप पहले आसानी से कर लेते थे (जैसे दो सीढ़ी चढ़ना), उसमें अब सांस फूलने लगे।
- अत्यधिक थकान: बिना किसी कारण के बहुत ज़्यादा थका हुआ महसूस करना।
- धड़कन का बढ़ना या ‘मिस’ होना (Palpitations)।
- चक्कर आना, उल्टी जैसा लगना।
- दर्द जो सीने से बढ़कर जबड़े (Jaw), गर्दन या बाएं हाथ में जाए।
2. ‘पोस्ट-कोविड हार्ट चेकअप’ करवाएं
अगर आपको कोविड हुआ था (चाहे हल्का या गंभीर), तो साल में एक बार अपना ‘हार्ट चेकअप’ ज़रूर कराएं। इसमें डॉक्टर आपकी रिस्क के हिसाब से कुछ टेस्ट कर सकते हैं:
- बेसिक टेस्ट: ब्लड प्रेशर, शुगर (HbA1c), और कोलेस्ट्रॉल (Lipid Profile)।
- दिल के टेस्ट: ECG (ईसीजी), Echo (ईकोकार्डियोग्राम – दिल का अल्ट्रासाउंड), और ज़रूरत पड़ने पर TMT (ट्रेडमिल टेस्ट)।
- सूजन के मार्कर: CRP (सी-रिएक्टिव प्रोटीन) जैसे ब्लड टेस्ट।
3. ‘धीरे-धीरे’ बनें ‘फिट’
एक्सरसाइज (कसरत) दिल के लिए अमृत है, पर सही तरीके से।
- रूल 1: अगर आप अभी शुरू कर रहे हैं, तो हफ्ते में 5 दिन, 30 मिनट ‘तेज़ चलना’ (Brisk Walking) काफी है।
- रूल 2: जिम जाकर पहले ही दिन वज़न न उठाएं। अपने ट्रेनर को बताएं कि आपको कोविड हुआ था।
- रूल 3: वार्म-अप (Warm-up) और कूल-डाउन (Cool-down) करना कभी न भूलें।
4. ‘थाली’ को ‘दवाई’ बनाएं (Eat Right)
- कम करें: नमक, चीनी, और मैदा। (पैकेट वाले चिप्स, बिस्कुट, कोल्ड ड्रिंक, जूस को ‘ना’ कहें)।
- ज़्यादा करें: फल, सब्ज़ियाँ, सलाद, और दालें।
- ‘अच्छा फैट’ (Good Fat) खाएं: जैसे बादाम, अखरोट, और सरसों या जैतून का तेल।
- ‘घर का खाना’ (Home-cooked meal) ही सबसे अच्छा है।
5. ‘स्ट्रेस’ का ‘पाइप’ खोलें (De-stress)
स्ट्रेस को मन में दबाकर न रखें। उसे बाहर निकालें।
- रोज़ 10 मिनट ‘प्राणायाम’ (गहरी सांस लेना) या ‘ध्यान’ (Meditation) करें।
- परिवार/दोस्तों से बात करें।
- अपनी हॉबी (Hobby) को समय दें।
- सबसे ज़रूरी: 7-8 घंटे की गहरी ‘नींद’ (Sleep) लें। नींद आपके दिल को ‘रिपेयर’ (Repair) करती है।
6. स्मोकिंग को ‘कल’ नहीं, ‘आज’ छोड़ें
अगर आप स्मोकिंग (सिगरेट, बीड़ी) करते हैं, तो आप पहले से घायल खून की नसों पर ‘पेट्रोल’ छिड़क रहे हैं। यह क्लॉटिंग के खतरे को 10 गुना बढ़ा देता है। इसे आज ही छोड़ दें।
7. अपनी दवाएं ‘कभी न’ छोड़ें
अगर आपको BP, शुगर या कोलेस्ट्रॉल की दवा दी गई है, तो उसे ‘भगवान का प्रसाद’ समझकर रोज़ टाइम पर लें। ये दवाएं आपकी ‘लाइफलाइन’ हैं।
आखिरी बात (The Conclusion)
तो, कोविड के बाद हार्ट अटैक के मामले क्यों बढ़ रहे हैं?
इसका जवाब है – कोविड से हुई अंदरूनी सूजन (Inflammation) और खून के थक्कों (Clots) ने, हमारी सुस्त और तनाव भरी लाइफस्टाइल (Lifestyle) के साथ मिलकर, दिल के लिए एक ‘खतरनाक’ माहौल तैयार कर दिया है।
लेकिन अच्छी खबर यह है कि इसमें से 90% कारणों को हम ‘बदल’ सकते हैं।
घबराएं नहीं। जागरूक रहें। अपने शरीर का सम्मान करें। अगर आपको कोविड हुआ है, तो यह मानकर चलें कि आपके दिल को ‘एक्स्ट्रा केयर’ (Extra Care) की ज़रूरत है।
अपना ख़याल रखें, क्योंकि आपका दिल बहुत कीमती है।



